25 जून, 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जयप्रकाश नायारण इंदिरा गांधी के भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई के खिलाफ बोल रहे थे। दिन भी बहुत गर्म था और राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज थीं। इससे इंदिरा गांधी को महसूस हुआ कि उनकी गद्दी को खतरा हो सकता है। इसीलिए 25 जून की दोपहर से पहले ही आपापकाल की जमीन तैयार करने के लिए गुप्त योजना बना ली गई। 25 जून को जब पूरा देश सो रहा था तो आधी रात को आपातकाल की घोषणा कर दी गई और शुरू हुआ गिरफ्तारी का दौर...सुबह होते होते जेपी नारायण, मोरारजी देसाई समेत तमाम बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। मगर ये तो अभी शुरुआत ही थी, क्योंकि जुल्म का दौर अब शुरू ही होने वाला था जिसने अगले 19 महीने तक देश को दहलाए रखा। 19 महीने में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गयी। इस दौरान विरोध प्रदर्शन का तो सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि जनता को जगाने वाले पत्रकार,लेखक-कवि और फिल्म कलाकारों तक को नहीं छोड़ा गया। मीडिया, कवियों और कलाकारों का मुंह बंद करने के लिए ही नहीं बल्कि इनसे सरकार की प्रशंसा कराने के लिए भी विद्या चरण शुक्ला सूचना प्रसारण मंत्री बनाए गए थे। 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल रहा।
मन की बात
Monday 25 June 2018
Tuesday 29 May 2018
8 माह पूर्व निलंबित रजिस्ट्रार स्व. देवराज हैं पूविवि में जन सूचना अधिकारी
आपको बता दें कि सितंबर 2017 में तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. देवराज को निलंबित कर दिया गया था और 26 मई 2018 को उनका निधन हो गया है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जन सूचना अधिकारी के रूप में डॉ. देवराज का नाम दर्ज है। यही नहीं जनसूचना अधिकारी के पदनाम के आगे रजिस्ट्रार भी लिखा है। वेबसाइट पर नए रजिस्ट्रार सुजीत कुमार जायसवाल का नाम तो अपडेट कर दिया गया है लेकिन जन सूचना अधिकारी स्व. डॉ. देवराज ही हैं ।
देश दुनिया के किसी भी कोने में रहकर किसी भी विश्वविद्यालय के बारे में लोग वेबसाइट के माध्यम से अपनी जरूरत की जानकारी हासिल करते हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है। विश्वविद्यालय की लापरवाही आप विश्वविद्यालय की वेबसाइट के इस लिंक http://www.vbspu.ac.in/public-
Sunday 8 April 2018
कॉमनवेल्थ में वाराणसी की पूनम यादव ने जीता गोल्ड
Tuesday 3 April 2018
किरकिरीः महज 16 घंटे में पीएम ने पलटा फेक न्यूज पर स्मृति का फैसला
Monday 2 April 2018
दलित आंदोलन के बाद भाजपा बनेगी 'मसीहा'
भारत बंद उग्र और हिंसक आंदोलन बन गया इसमे कम से कम 12 लोगों की जान गई तथा सैकड़ों लोग घायल हुए। इसमें करोड़ों का नुकसान हुआ ट्रेनें रोक दी गईं, बसों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने और विरोध करने का अधिकार है लेकिन विरोध के नाम पर मैं हिंसा की छूट किसी को भी नहीं होनी चाहिए। वैसे कुछ भी हो इसके सियासी मायने भी हैं और इसका असर 2019 के चुनाव पर भी पड़ सकता है। अब बीजेपी सरकार रक्षात्मक मूड में आ गयी है और दलितों के साथ खड़ा होने की बात कह रही है। निश्चित ही आने वाले समय मे भाजपा दलितों को लुभाने की कोशिश करेगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान इसकी तरफ साफ इशारा कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या भाजपा दलितों का भरोसा जीत पाती है।
Saturday 17 February 2018
अब 30 वर्ष तक की आयु वाले दे सकेंगे जेआरएफ नेट
नोटिफिकेशन के मुताबिक, इस साल 8 जुलाई को परीक्षा होगी। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 6 मार्च से शुरू होगी। आवेदन का अंतिम दिन 5 अप्रैल है। वहीं, आवेदन शुल्क 6 अप्रैल तक जमा कराया जा सकता है। साथ ही इस बार प्रश्न पत्र के फॉर्मेट में भी बदलाव होगा। इस बार यूजीसी परीक्षा 200 अंकों की होगी, इसमें 150 प्रश्न आएंगे। अब तक तीन पेपर 450 अंकों के होते थे जिसमें 175 प्रश्न आते थे। अब तीन की जगह सिर्फ दो पेपर होंगे। पहला पेपर 100 अंकों का होगा जिसमें पचास प्रश्न आएंगे इसकी समयावधि एक घंटे की होगी। परीक्षा सुबह 9.30 बजे से सुबह 10.30 बजे तक होगी। दूसरा पेपर भी 100 अंकों का होगा और इसमें 100 प्रश्न अनिवार्य होंगे। इसकी समयावधि दो घंटे की होगी। बीते साल तक इस परीक्षा में तीन पेपर होते थे। पहला पेपर 100 अंकों का होता था जिसमें 50 प्रश्न पूछे जाते थे। इसकी समयावधि 1 घंटा 15 मिनट थी। जबकि दूसरा पेपर 100 अंक का था जिसमें 50 प्रश्न पूछे गए थे इसकी भी समयावधि 1 घंटा 15 मिनट थी। वहीं, तीसरा पेपर 150 अंकों का हुआ था और उसमें 75 प्रश्न पूछे गए थे और समयावधि 2.30 घंटे की थी।
Saturday 28 October 2017
आजकल वादों और दावों में हकीकत कम सियासत ज्यादा होती है
खा खा के मोटापे के शिकार हुए , कुत्तों को दूध और बिस्कुट खिलाने वाले भूख की कीमत क्या जानेंगे। देश का दुर्भाग्य लगभग 40 फीसदी लोग भूख या कुपोषण के शिकार हैं और हम चले दुनिया की महाशक्ति बनने। अमीर गरीब के बीच बढ़ती खाईं परेशान करने वाली। देश मे बेरोजगारों की भींड दुखद। अब तज सरकारों ने खूब लंबी चौड़ी बातें की। क्या सरकारें सोचती हैं कि बातों और दावों से लोगों का भला हो जाएगा या सोचती हैं कि लोगों का भला हो जाएगा तो हमारी दुकान कैसे चलेगी। अब तक की सरकारों के दावों और वादों को देखें तो हकीकत से कोसों दूर हैं। देश में कुछ नहीं बदल रहा। लोगों का ध्यान मूल मुद्दों और समस्याओं से हटाकर एजेंडा सेटिंग कर दी जाती है। मीडिया(अधिकतर tv channel) भी हनीप्रीत, राधे माँ जैसे मसालेदार सामग्री में खोया है। गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसान या भुखमरी जैसे मुद्दों पर कभी चर्चा हुई क्या ? होगी भी नहीं।